बार्बर से बिलिनेयर तक
यह एक अनचाहा तथ्य है कि हममें से ज्यादातर लोग अपनी life को नहीं lead करते बल्कि हमारी life हमें lead करती है … हम अपनी situation को बेहतर बनाने के लिए कुछ ख़ास नहीं करते और धीरे -धीरे अपनी mediocrity को accept कर लेते हैं और so called “secured” life जीते रहते हैं . पर कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इन सबसे ऊपर उठ कर कुछ ऐसा कर गुजरते हैं जो ना सिर्फ उनकी ज़िन्दगी बदल देता है बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का भी काम करता है .
दोस्तों , आज मैं आपके साथ ऐसे ही एक शख्स की कहने share करूँगा जिसने barber से billionaire बनने तक का सफ़र तय किया ….
Ramesh Babu with White Rolls Royce and BMW
मैं बात कर रहा हूँ बेंगलुरु के रहने वाले 42 वर्षीय Ramesh Babu की जिन्होंने अपनी ईमानदार , कठोर परिश्रम , विनम्रता और दूरदर्शिता के बल पर करोड़ों रुपये का business empire खड़ा कर लिया . तो आइये जानते हैं उनकी success story के बारे में .
जब रमेश बाबू सिर्फ सात साल के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया . वो अपने पीछे अपना परिवार और एक barber shop छोड़ गए थे . उनकी माँ ने बड़ी मुश्किल से इधर -उधर खाना बनाने का काम करके बच्चों को पाला -पोसा और पढाया – लिखाया .
चूँकि वो खुद barber shop नहीं चला सकती थीं इसलिए उन्होंने दुकान को 5 रूपये रोजान पर किराए पर उठा दिया .
Ramesh Babu बताते हैं कि , “ हम बस एक time का खाना खा कर बड़े हुए हैं .”
रमेश बाबू जैसे जैसे बड़े हुए उन्हें लगने लगा कि अब उन्हें पढाई -लिखी छोड़ कर अपनी माँ का हाथ बंटाना चाहिए ….,लेकिन माँ के जिद्द करने पर उन्होंने पढाई जारी राखी और इंटर(12th ) करने के बाद Electronics में diploma किया . इन सबके दौरान उनके पिता की दुकान अभी भी मामूली किराये पर चल रही थी . 1989 में रमेश बाबू ने निश्चय किया कि अब वो खुद ये दुकान चलाएंगे और अपने पुरखों द्वारा शुरू की गयी दुकान में काम करने लगे .
उनके मेहनत और व्यवहार से दुकान अच्छी चल पड़ी और अब वो अपने परिवार का खर्चा उठाने के साथ साथ कुछ पैसे save भी करने लगे .
1994 तक उन्होंने Maruti Omni खरीदने भर के पैसे बचा लिए थे . उन्होंने गाड़ी खरीद ली , पर एक समस्या थी ..गाड़ी अक्सर बेकार खड़ी रहती थी , इसलिए उन्होंने उसे rent पर देने का निर्णय लिया . और यही वो बीज था जो आगे चल कर Ramesh Tours and Travels नाम की company में बदल गया .
1994 से 2004 के बीच में उन्होंने 7 और कारें खरीदीं और उन्हें भी rent पर लगा दिया . इस बीच उन्होंने एक बात का हमेशा ध्यान रखा कि उनके driver well-behaved रहे और clients पूरी तरह satisfied हों . उन्होंने अपने drivers की सुख -सुविधा का भी पूरा ख्याल रखा और शायद यही वजह है कि उनका पहला driver संपथ आज भी उनके साथ है .
2004 में उन्होंने Luxury car segment में घुसने का फैसला किया और बैंक से loan लेकर 42 लाख की एक Mercedes Benz खरीद ली . उनका कहना है कि “ यह बहुत अच्छा रहा क्योंकि बाकी travel agencies के पास इसी पुरानी luxury कारें थीं , और सिर्फ हमारे पास ही एकदम brand new Mercedes थी .”
इसके बाद रमेश जी ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और एक के बाद एक अपने कारों का जखीरा बढाते गए . और आज उनके पास लगभग 100 कारें हैं जिनमे BMW, Mercedes और Rolls Royce Ghost जैसी 27 luxury गाड़ियाँ भी शामिल हैं .
उनकी सबसे सस्ती गाड़ी का एक दिन का minimum rent 1000 रूपये है और सबसे महंगी Rolls Royce का 50,000 रुपये है …. लगभग हर रोज़ उनकी सभी गाड़ियाँ book रहती हैं ….आप अंदाज़ा लगा सकते हैं उनकी एक दिन की कमाई का ….!!!!!
और हाँ , उनकी पहली car Maruti Omni अभी भी उनके साथ है …पर अब वो उसे rent पर नहीं देते .
आज उनकी company ने कई ड्राइवरों को रोजगार दिया हुआ है. उनकी कंपनी में यह भी सुविधा है कि कोई ग्राहक चाहे तो सिर्फ car hire करे और खुद चला कर ले जाए .
अब आप ही सोचिये कि इतने बड़े आदमी का daily routine क्या होता होगा ….आराम से अपने 5 star office में बैठना और अपना जमा -जमाया business manage करना ……पर नहीं ….Ramesh Babu तो सच में एक मिसाल हैं .
वो अभी भी रोज सुबह 8 से 10 बाल काटने का काम करते हैं , 10 से 4 वो अपना car rental business सँभालते हैं और फिर 4 से 7 लोगों के बाल काटते हैं और एक बार फिर 7 से 8:30 Ramesh Tours and Travels का काम देखते हैं .
जरा imagine कीजिये कि आप अपनी scooter से किसी नाई के यहाँ जाएं और वो अपनी Rolls Royce से उतर कर आपके बाल में पानी छिडके ….woooooo!!!!
Ramesh Babu अपनी पत्नी , दो बेटियों और एक बेटे के साथ एक खुशहाल जीवन जी रहे हैं . उनका कहना है “ मैं अपने बच्चों को अपने दोनों business करना सीखाऊंगा .”
वैसे तो रमेश जी काफी busy रहते हैं पर ladies hair cut सीखने के लिए Singapore जा चुके हैं और एक बार Germany की भी सैर कर चुके हैं .जब उनसे कोई पूछता है कि वो किसी club के member क्यों नहीं बन जाते तो उंनका कहना होता है , “ मेरे पास time नहीं है ”
सच में Ramesh जी इस बात का जीता-जागता प्रमाण हैं कि इंसान अपनी मेहनत से कुछ भी हांसिल कर सकता है और सब कुछ हांसिल कर के भी जमीन से जुड़ा रह सकता है .
Sunday को वो पूरा दिन अपने saloon पर ही काम करते हैं क्योंकि उस दिन भीड़ ज्यादा होती है . इसका ये मतलब है कि वो एक दिन की भी छुट्टी नहीं लेते .वो पुरुषों के बाल काटने के 65 और महिलाओं के 150 रुपये लेते हैं .
वो आज भी उन दिनों को नहीं भूले हैं जब उनकी माँ दूसरों के यहाँ खाना बनती थी . वो अभी भी बाल इसलिए काटते हैं ताकि वो अपनी जड़ों को ना भूल पाएं . वो कहते हैं कि , ” मैं कभी भी अपने customer को नाराज़ नहीं करता .”
उनके travel business की लागत का कुछ हिस्सा Traffic police के fine भरने में जाता है . हर महीने वो खुद जा कर fine जमा करते हैं और उसे driver की salary से काटते हैं . उन्हें यह पसंद नहीं की उनकी गाड़ियाँ बीच में रोकी जाएं और customers को असुविधा हो .
उनका कहना है कि उनकी success का एक ही formula है ,” hard work and honesty”
इतना सफल होने के बाद भी किसी का इतना down to earth होना सच में inspire करता है कि हम भी उनकी तरह बनें .
हम आशा करते हैं कि आगे आने वाले समय में भी उनके दोनों business फलते -फूलते रहे और वो इसी तरह से हमें प्रेरणा देते रहे .
कैरियर जहाँ आपके सपने पुरे होते है, 21वी सदी का एकमात्र विकल्प:~ नेटवर्क मार्केटिंग
09:48नेटवर्क मार्केटिंग एक नवीन आर्थिक अवधारणा है। यह आर्थिक जगत में बहुत तेजी से उभरता हुआ ट्रेंड है। आज राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य में नेटवर्क बिजनेस ने महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है।
वर्तमान में इस क्षेत्र की अनंत संभावनाओं को देखते हुए तमाम विश्वविद्यालयों ने इसे अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया है।
ऐसा माना जाने लगा है कि सन् 2020 तक नेटवर्क इण्डस्ट्री का वार्षिक टर्नओवर परम्परागत बिजनेस के टर्नओवर को काफी पीछे छोड़ देगा।
विश्व के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में ऐसे कई नाम हैं जिनका मुख्य व्यवसाय नेटवर्क मार्केटिंग ही है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अभी तक पूरी दुनिया में 2 प्रतिशत लोग भी नेटवर्क बिजनेस का हिस्सा नहीं हैं। इस क्षेत्र में असीम सम्भावनायें दिखायी दे रहीं हैं...
नेटवर्क बिजनेस में शामिल होने का आपका छोटा सा निर्णय आपको अनन्त ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।
इस व्यवसाय का सबसे अच्छा पहलू यह है कि जाति, धर्म, भाषा, उम्र, शैक्षिक योग्यता व लिंग के आधार पर विभेद स्वीकार नहीं करती है। एक दूसरे के सहयोग पर आधारित इस व्यवसाय को कोई भी अपना सकता है। अनेकता, अहंकार, दुर्भावनायें, एक दूसरे को हानि पहुंचाने की प्रवृत्ति दूर-दूर तक इस व्यवसाय का हिस्सा नहीं बन सकती।
इस प्रकार नेटवर्क इण्डस्ट्री का ज्यों-ज्यों विस्तार होता जायेगा, हम एक स्वस्थ, समृद्ध व नैतिक समाज व राष्ट्र के निर्माण की ओर अग्रसर होते जायेंगे।
हेनरी फ़ोर्ड, जो बिलियनेर और विश्वप्रसिद्ध फ़ोर्ड मोटर कंपनी के मलिक हैं | सफल बनने से पहले फ़ोर्ड पाँच अन्य बिज़निस मे फेल हुए थे | कोई और होता तो पाँच बार अलग अलग बिज़निस में फेल होने और कर्ज़ मे डूबने के कारण टूट जाता| लेकिन फ़ोर्ड ने ऐसा नहीं किया और आज एक बिलिनेअर कंपनी के मलिक हैं |
अगर विफलता की बात करें तो थॉमस अल्वा एडिसन का नाम सबसे पहले आता है| लाइट बल्व बनाने से पहले उसने लगभग 1000 विफल प्रयोग किए थे |
अल्बेर्ट आइनस्टाइन जो 4 साल की उम्र तक कुछ बोल नहीं पता था और 7 साल की उम्र तक निरक्षर था | लोग उसको दिमागी रूप से कमजोर मानते थे लेकिन अपनी थ्ओरी और सिद्धांतों के बल पर वो दुनिया का सबसे बड़ा साइंटिस्ट बना |
अब ज़रा सोचो की अगर हेनरी फ़ोर्ड पाँच बिज़नेस में फेल होने के बाद निराश होकर बैठ जाता, या एडिसन 999 असफल प्रयोग के बाद उम्मीद छोड़ देता और आईन्टाइन भी खुद को दिमागी कमजोर मान के बैठ जाता तो क्या होता?
हम बहुत सारी महान प्रतिभाओं और अविष्कारों से अंजान रह जाते |
तो मित्रों, असफलता सफलता से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है…..
इन्सान अपनी ईच्छाओं का त्याग करता है, और पुरी जिन्दगी नौकरी में बिता देता है ! 60 वर्ष की ऊम्र जब वो रिटायर्ड होता है तो उसे उसका फन्ड मिलता है !
18:42😄 इस कहानी पर ध्यान दें एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय
से आती थी और अपना काम पूर्ण मेहनत
तथा ईमानदारी से करती थी !
गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के
भी खूब खुश थी क्यों कि उसके मालिक .......
जंगल के राजा शेर नें उसे दस बोरी अखरोट
देने का वादा कर रक्खा था !
गिलहरी काम करते करते थक जाती थी
तो सोचती थी कि थोडी आराम कर लूँ ....
वैसे ही उसे याद आता था :- कि शेर उसे
दस बोरी अखरोट देगा - गिलहरी फिर
काम पर लग जाती !
गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते -
कुदते देखती थी तो उसकी भी ईच्छा होती
थी कि मैं भी enjoy करूँ !
पर उसे अखरोट याद आ जाता था !
और वो फिर काम पर लग जाती !
शेर कभी - कभी उसे दूसरे शेर के पास
भी काम करने के लिये भेज देता था !
ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना
चाहता था , शेर बहुत ईमानदार था !
ऐसे ही समय बीतता रहा....
एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के
राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट
दे कर आजाद कर दिया !
गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने
लगी कि:-अब अखरोट हमारे किस काम के ?
पुरी जिन्दगी काम करते - करते दाँत तो घिस
गये, इसे खाऊँगी कैसे !
😄😄😄😄😄😄😄😄
दोस्तों यह कहानी आज जीवन की हकीकत
बन चुकी है !
इन्सान अपनी ईच्छाओं का त्याग करता है,
और पुरी जिन्दगी नौकरी में बिता देता है !
60 वर्ष की ऊम्र जब वो रिटायर्ड होता है
तो उसे उसका फन्ड मिलता है !
तब तक जनरेसन बदल चुकी होती है, परिवार
को चलाने वाला मुखिया बदल जाता है ।
क्या नये मुखिया को इस बात का अन्दाजा
लग पयेगा की इस फन्ड के लिये : -
कितनी इच्छायें मरी होगी ?
कितनी तकलीफें मिलि होगी ?
कितनें सपनें रहे होंगे ?
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
दोस्तों क्या फायदा ऐसे फन्ड का जिसे
पाने के लिये पूरी जिन्दगी लगाई जाय
और उसका इस्तेमाल खुद न कर सके !
"इस धरती पर कोई ऐसा आमीर अभी
तक पैदा नहीं हुआ जो बिते हुए समय
को खरीद सके ।
😄 So Enjoy everything with time coz aftr time gone nothing is worth😄
एक बार एक आदमी मर जाता है...
जब उसे इसका एहसास होता है तो वो देखता है की भगवान हाथ में एक सूटकेस लिए उसकी तरफ आ रहें हैं।
भगवान और उस मृत व्यक्ति के बीच वार्तालाप .....
भगवान: चलो बच्चे वापिस जाने का समय हो चूका है।
मृत व्यक्ति: इतनी जल्दी? मेरी तो अभी बहुत सारी योजनाये बाकी थी।
भगवान्: मुझे अफ़सोस है लेकिन अब वापिस जाने का समय हो चूका है।
मृतव्यक्ति: आपके पास उस सूटकेस में क्या है?
भगवान् : तुम्हारा सामान ।
मृतव्यक्ति: मेरा सामान ? आपका मतलब मेरी वस्तुएँ....मेरे कपड़े....मेरा धन..?
भगवान्: वो चीजें कभी भी तुम्हारी नहीं थी बल्कि इस पृथ्वी लोक की थी ।
मृतव्यक्ति: तो क्या इसमें मेरी यादें हैं?
भगवान्: नहीं ! उनका सम्बन्ध तो समय से था।
मृतव्यक्ति: क्या इसमें मेरी योग्यताएं हैं?
भगवान् : नहीं ! उनका सम्बन्ध तो परिस्थितियों से था।
मृतव्यक्ति: तब क्या मेरे दोस्त और मेरा परिवार ?
भगवान्: नहीं प्यारे बच्चे ! उनका सम्बन्ध तो उस रास्ते से था जिस पर तुमने अपनी यात्रा की थी।
मृतव्यक्ति: तो क्या ये मेरे बच्चे और पत्नी हैं?
भगवान्: नहीं! उनका सम्बन्ध तो तुम्हारे मन से था।
मृत व्यक्ति: तब तो ये मेरा शरीर होना चाहिए ?
भगवान्: नहीं नहीं ! उसका सम्बन्ध तो पृथ्वी की धूल मिटटी से था।
मृतव्यक्ति: तब जरूर ये मेरी आत्मा होनी चाहिए!
भगवान्: तुम फिर गलत समझ रहे हो मीठे बच्चे ! तुम्हारी आत्मा का सम्बन्ध सिर्फ मुझसे है।
उस मृतव्यक्ति ने आँखों में आंसू भरकर भगवान के हाथों से सूटकेस लिया और उसे डरते डरते खोला..
खाली.....
अत्यंत निराश.........दुखी होने के कारण आंसू उसके गालो पर लुढकते हुए बहने लगे। उसने भगवान् से पुछा।
मृतव्यक्ति: क्या कभी मेरी अपनी कोई चीज थी ही नहीं?
भगवान्: बिलकुल ठीक! तुम्हारी अपनी कोई चीज नहीं थी।
मृतव्यक्ति: तब...मेरा अपना था क्या?
भगवान: तुम्हारे पल.......
प्रत्येक लम्हा.. प्रत्येक क्षण जो तुमने जिया वो तुम्हारा था।
इसलिए हर पल अच्छा काम करो।
हर क्षण अच्छा सोचो।
और हर लम्हा भगवान् का शुक्रिया अदा करो।
जीवन सिर्फ एक पल है ...
इसे जियो....
इसे प्रेम करो...
इसका आनंद लो....
Securedlives में सफल व्यक्तियो के विडियो
एक अतिश्रेष्ठ व्यक्ति थे , एक दिन उनके पास एक निर्धन आदमी आया और बोला की मुझे अपना खेत कुछ साल के लिये उधार दे दीजिये ,मैं उसमे खेती करूँगा और खेती करके कमाई करूँगा,
वह अतिश्रेष्ठ व्यक्ति बहुत दयालु थे
उन्होंने उस निर्धन व्यक्ति को अपना खेत दे दिया और साथ में पांच किसान भी सहायता के रूप में खेती करने को दिये और कहा की इन पांच किसानों को साथ में लेकर खेती करो, खेती करने में आसानी होगी,
इस से तुम और अच्छी फसल की खेती करके कमाई कर पाओगे।
वो निर्धन आदमी ये देख के बहुत खुश हुआ की उसको उधार में खेत भी मिल गया और साथ में पांच सहायक किसान भी मिल गये।
लेकिन वो आदमी अपनी इस ख़ुशी में बहुत खो गया, और वह पांच किसान अपनी मर्ज़ी से खेती करने लगे और वह निर्धन आदमी अपनी ख़ुशी में डूबा रहा, और जब फसल काटने का समय आया तो देखा की फसल बहुत ही ख़राब हुई थी , उन पांच किसानो ने खेत का उपयोग अच्छे से नहीं किया था न ही अच्छे बीज डाले ,जिससे फसल अच्छी हो सके |
जब वह अतिश्रेष्ठ दयालु व्यक्ति ने अपना खेत वापस माँगा तो वह निर्धन व्यक्ति रोता हुआ बोला की मैं बर्बाद हो गया , मैं अपनी ख़ुशी में डूबा रहा और इन पांच किसानो को नियंत्रण में न रख सका न ही इनसे अच्छी खेती करवा सका।
अब यहाँ ध्यान दीजियेगा-
वह अतिश्रेष्ठ दयालु व्यक्ति हैं -'' भगवान"
निर्धन व्यक्ति हैं -"हम"
खेत है -"हमारा शरीर"
पांच किसान हैं हमारी इन्द्रियां--आँख,कान,नाक,जीभ और मन |
प्रभु ने हमें यह शरीर रुपी खेत अच्छी फसल(कर्म) करने को दिया है और हमें इन पांच किसानो को अर्थात इन्द्रियों को अपने नियंत्रण में रख कर कर्म करने चाहियें ,जिससे जब वो दयालु प्रभु जब ये शरीर वापस मांग कर हिसाब करें तो हमें रोना न पड़े।
इस ज्ञान को अपने जीवन में लगायें।।